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  • मेरा नज़रिया

    समाजसेवा को धर्म मान कर मैं आगे चलना चाहता हूँ,
    बिना जाति धर्म देखे हर जरूरतमंद का सहारा बनना चाहता हु ।

समाजसेवा को धर्म मान कर मैं आगे चलना चाहता हूँ

बिना जाति धर्म देखे हर जरूरतमंद का सहारा बनना चाहता हु ।
  • समाजसेवा का प्रतिपालन
  • धर्मिक आदर्श के साथ आगे बढ़ना
  • सेवा के माध्यम से योगदान
  • समृद्धि की दिशा में काम करना